Friday 18 November 2016

कौन है ये "सोनम गुप्ता"?

बात है 1996 की ……कहानी है नागर मिसिर और अंकिता  की ….नागर मिसिर बनारस के अस्सी मोहल्ले के रहने वाले थे उम्र 21 साल,रंग थोड़ा साँवला !अभी अभी विद्यापीठ से स्नातक तृतीय वर्ष की परीक्षा दिए है ,अंकिता ……गोरी,लंबे बालों वाली,मेकअप,लिपस्टिक लगाकर एक खूबसूरत जवान दिखने (मतलब जवान है भी) वाली लड़की !

मिसिर जी के सामने वाले दुबे जी के घर में अभी कुछ दिन पहले ही किराए पे रहने आई थी,काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में स्नातक प्रथम वर्ष में प्रवेश हुआ था!

नागर मिसिर पंडित आदमी …..अपने पिता जी के जजमानी का काम भी देखते ,सुबह अस्सी घाट पर आने वाले तीर्थयात्रियों को पूजा पाठ भी कराते,

एक रोज अंकिता सुबह सुबह घाट के किनारे वाले मकान की बालकनी में नहाकर अपने गीले वालो को तौलिये से लपेटकर अपने कपडे सुखाने के लिए फैला रही थी और मिसिर जी गंगा स्नान करते हुए “ॐ सूर्याय नमः”बोल रहे थे और नजर अंकिता की तरफ थी!

​दो पल के लिए अंकिता की नजर भी मिसिर जी को देखी ……और एक स्माइल कर दी !

बस तब से घाट किनारे दो काम एक साथ होने लगे “अंकिता का गीले बालों के साथ बालकनी में आकर कपडे सुखाना और नागर मिसिर का गंगा में “ॐ सूर्याय नमः” के साथ सूर्य जी को जल चढ़ाना !

सूरज कभी लेट भी हो जाता…..लेकिन मिसिर जी अपने धुन के पक्के रहते ,बालकनी में उस चहरे को देखने के लिए भीषण ठंड में भी गंगा में डुबकी लगाये रहते…….नए नए प्यार की सुगबुगाहट उन्हें गर्मी देती थी !

​अंकिता एक रोज घाट पे आई ……मिसिर जी भी घाट पर बैठे बैठे बोर हो रहे थे आज कोई जजमान पूजा कराने नही आया था !

अंकिता ने मिसिर जी से अपना हाथ (भविष्य देखने के लिए) देखने के लिए आग्रह किया,मिसिर जी की खुशी देखते बनती थी,मानो वर्षो की तपस्या पूरी हो गई …….हाथ को मिसिर जी देखे भी और महसूस भी किये !

अब अंकिता पांडेय अपने मुट्ठी में दबाई हुई 10 का नोट और एक का सिक्का दक्षिणा के रूप में मिसिर जी को देती है मिसिर जी पहले तो मना करते थे बाद में अंकिता के जिद करने पर 10 रूपये का नोट ले लेते है !

अब हर रविवार अंकिता घाट पे मिसिर जी को हाथ दिखाती और 10 का नोट दक्षिणा में देती …….ये अलग बात है उसके प्यार में पड़े मिसिर जी रविवार शाम उसे सिनेमा दिखाने ले जाते,गोलगप्पे-चाट खिलाते,कपडे दिलवाते !

दिसम्बर का महीना ठण्ड अपनी उस अवस्था में जिस अवस्था में मिसिर जी की जवानी …….मतलब दुनो एकदम प्रचण्ड !

सुबह के 5 बजे थे…….कोहरे से गंगा जी ढकी हुई थी …..और मिसिर जी पानी में स्नान करते हुए निगाह बालकनी में लगाए हुए थे !

एक घण्टे हुए…….6 बज गए …….मिसिर जी सोच रहे थे अब तक तो आ जाना चाहिए कपडे सुखाने इतना लेट कभी नही की !

7 बजे…….8 बजे………. मिसिर जी पानी के बाहर निकलते और फिर “दीदार-ऐ-महबूब”की सनक उन्हें ठंडे पानी में ले जाती !

अब सूरज सर पे था…..12 बज गए ……बालकनी खाली थी और खाली था मिसिर जी का दिल ……

मिसिर जी को बुखार हो गए था ,शरीर तप रहा था !

उसी बुखार में मिसिर जी अपने सामने वाले दुबे जी के घर पर गए जिस बालकनी से अंकिता दिखाई देती है !

अब मिसिर जी का शरीर ठंडा पड़ गया था मानो सैकड़ो विषधर साँपो ने एक साथ डस लिया हो – दुबे जी ने बताया अरे उस लड़की का नाम अंकिता नही ,सोनम था सोनम …….”सोनम गुप्ता”….अपने जौनपुर वाले गुप्ता जी की बेटी !

यहाँ पढ़ने आईं थी पढ़ाई पूरी हो गई अब उसकी शादी है…..अगले लगन में ,लड़का बड़ा सरकारी बाबू है !

मिसिर जी शादी आपको ही करानी है …….पैसे वाले आदमी है हमारे गुप्ता जी “दक्षिणा” में कोई कमी नही रहेगी !

​अब नागर मिसिर रात के 11 बजे घाट किनारे आये…..हवन कुंड में आग जलाई और अंकिता (अब सोनम) के दिए हुए खत और एक -दो उपहार को “ॐ बेवफाये नमः” स्वाहा करते हुए जला दिए !

चैन अब उनको रात में भी नही था …..दो बजे अचानक उठे कलम उठाई और हाथ दिखाने पर अंकिता(अब सोनम) ने जो 10-10 वाले नोट दिए थे सभी को अपने बक्से से बाहर निकाला !

और हर नोट पे लिख डाले “सोनम गुप्ता बेवफा है” !!

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